Quotation

August 1984

Read Scan Version
<<   |   <   | |   >   |   >>

चेतना के सूक्ष्मीकृत रूप पर, मानवी विद्यत्चुम्बकत्व पर आप्त वचनों की साक्षी देने हेतु अब वैज्ञानिक आगे आए हैं एवं उन्होंने इस संरचना की झाँकी को देखने, इसका छायाँकन करने का भी प्रयास किया है। विद्यत्तरंगों की समुच्चय यह काया अन्ततः है- क्या? एवं इसे और भी सूक्ष्म बनाकर क्या विभूतियाँ हस्तगत की जा सकती हैं।


<<   |   <   | |   >   |   >>

Write Your Comments Here:


Page Titles