जैतवन के ग्राम निवासी (kahani)

June 1983

Read Scan Version
<<   |   <   | |   >   |   >>

जैतवन के ग्राम निवासी भगवान बुद्ध का दर्शन करने और उपदेश सुनने की आकाँक्षा से समवेत होकर आये।

उस समय तथागत की गम्भीर धर्मचर्चा चल रही थी। महा काश्यप, माौदगल्यायन, सारिपुत्र चुन्द और देवदत्त आदि उस अमृतपान में तन्मय थे।

तथागत ने आगत ग्रामवासियों को देखा और प्रवचन रोक दिया, अनाथ पिण्डक से बोले- ‘भद्र ! उठो- सामने ब्राह्मण मण्डली आ रही है। उन्हें आसन दो और आतिथ्य की उपचार सामग्री ले आओ।’

अनाथ पिण्डक ने देखा ब्राह्मण मण्डली कहीं नहीं थी। मात्र कुचिंत वस्त्रों में ग्राम वासियों का एक झुण्ड तितर-वितर होकर चला आ रहा था। उनने तथागत का भ्रम दूर करते हुए कहा-’देव! इन आगन्तुकों में एक भी ब्राह्मण नहीं है। यह सभी अन्त्यज जाति के हैं। कई तो इनमें शूद्र भी हैं।’

बुद्ध गम्भीर हो गये और बोले- ‘जो सदाशयता के प्रति श्रद्धावान है वही ब्राह्मण है। यह लोग श्रेष्ठ प्रयोजन के लिए भाव युक्त होकर आये हैं। यह इस समय तो ब्राह्मण ही हैं। उनका समुचित सत्कार होना चाहिए।’

वैसा ही किया भी गया।


<<   |   <   | |   >   |   >>

Write Your Comments Here:


Page Titles






Warning: fopen(var/log/access.log): failed to open stream: Permission denied in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 113

Warning: fwrite() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 115

Warning: fclose() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 118