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June 1983

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इतिहास साक्षी है कि व्यक्ति महापुरुष तभी बने हैं, जब उन्होंने धन को तिलाँजलि देकर दरिद्रता अपनायी है। -एमर्सन

तुम्हें तो सदैव सम्पत्ति के खोने की चिंता रहती है, सो मेरी भाँति तुम्हारे हास्य में गूँज कहाँ से आये? -अज्ञात


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