नैपोलियन के सैनिक शत्रु (kahani)

November 1981

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नैपोलियन के सैनिक शत्रु के घातक प्रहारों के सामने टिक नहीं पा रहे थे। उपसेनापति ने विचार किया कि पीछे हटा जाय अन्यथा पराजय का मुँह देखना पड़ेगा। अपने प्रस्ताव की ओर नैपोलियन का ध्यान आकृष्ट करने के लिये उसने उनके सामने कई किस्म की सिगरेटें प्रस्तुत कीं। युद्धस्थल की ओर दृष्टि जमाये ही उन्होंने सर्वश्रेष्ठ सिगरेट उठा ली। उसने उप-सेनापति की ओर देखा तक नहीं। उपसेनापति उत्साहित होकर बिना कुछ कहे, वहाँ से चल दिये। उसने सोचा कि जो ऐसी विषम परिस्थिति में भी इतनी स्थिरता इतना धैर्य रख सकता है कि घटिया और बढ़िया के विवेक को नहीं भूलता, ऐसे व्यक्ति की विजय अवश्यंभावी है। सचमुच अन्त में जीत नैपोलियन की ही हुई।


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