एक दुबला-पतला बालक लकड़ियाँ काट रहा था। परिश्रम और पसीने से उसकी देह लतपथ थी, किन्तु वह बड़ी तल्लीनता से अपने काम में जुटा रहा। फिर उठा खाना पकाया। घर की झाडू लगाने से लेकर पानी ढोने तक का काम उसने अपने हाथों किया था फिर उसे दिन ढलते ही नींद आना स्वाभाविक था।
किन्तु जीवन में सफलता की इच्छा रखने वाले व्यक्ति आराम नहीं श्रम से, आलस्य नहीं उद्योग से प्रेम करते हैं। ऐसा लगता है कि इस बच्चे ने भी यह निश्चय कर लिया था कि उसे बड़ा आदमी बनना है इसलिए अभी वह चारपाई पर नहीं गया। उसने दीपक जलाया और पढ़ने बैठ गया।
एक दिन ब्लैक स्टोन की एक पुस्तक पढ़ने की इच्छा हुई। वह प्रत्येक बड़े लेखक के आदर्शों को अपनाता था इसलिए गुण-संचय की उसे धुत हो गई थी। पर वह पुस्तक मिलती कैसे? वहाँ से चार मील दूर एक लाइब्रेरी में पुस्तक मिल सकती थी। “चार मील कौन जाये” थका देने वाली कुत्सा बच्चे के जीवन में न थी वह तो तुरन्त चल पड़ा। लौटते समय रास्ते में ही पुस्तक पढ़ डाली। दुबारा घर पढ़कर लौटा दी।
सतत् कर्मरत रहने वाला यह छोटा-सा बच्चा आप न जानते होंगे- एक दिन अमेरिका का राष्ट्रपति बना और अब्राहम लिंकन के नाम से विख्यात हुआ।