सद्वाक्य

September 1972

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जीवन जगाने के लिए है और इसके समान जीवन में कोई आनंद नहीं है। संपत्ति और वैभव मनुष्य को सुख देंगे, यह भ्रम है। सौंदर्य, और आनंद में ही सुख है, वास्तविक सौंदर्य— "शांत प्रकृति, पवित्र-आचार और पवित्र-विचार में है। ये बातें जिस मनुष्य में हैं, वही सुख का भोक्ता है, इस सुख को प्राप्त करने के लिए मनुष्य को अहर्निशि-संघर्ष करना चाहिए, यही जीवन है।"

  —प्लेटो


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