मनुष्य ईर्ष्या से अन्धा बनता है। दूसरों के पाप तो आँखों के सामने रखता है, पर अपना पाप पीठ पीछे। दूसरों को क्षमा कर दो, प्रभु तुम्हें क्षमा करेगा।
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सज्जनों के साथ नर्क में रहना अच्छा, पर दुर्जनों के साथ स्वर्ग में रहना अच्छा नहीं क्योंकि सज्जन लोग अपने पुनीत कर्तव्यों से नर्क को भी स्वर्ग बना लेते है और दुर्जन लोग स्वर्ग को भ्रष्ट करके उसे नर्क बना डालेंगे।
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जो मनुष्य न मिलने योग्य चीजों को चाहता है और जो शक्ति रहित होकर क्रोध करता है। ये दोनों ही मनुष्य अपने शरीर को नाश करते हैं।