चुप रहना एक कला ही नहीं, वाक् प्रवीणता भी है।
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चार बातें नहीं भूलनी चाहिये (1) बड़ों का आदर करना (2) छोटों को सलाह देना। (3) बुद्धि- मानों से सलाह लेना (4) मूर्खों से न उलझना।
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यदि मनुष्य सीखना चाहे, तो उसकी प्रत्येक भूल उसे कुछ न कुछ सिखा देती है।