शेखशादी की सूक्तियाँ

February 1941

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एक मनुष्य एक बीमार के सिरहाने रात भर रोया। जब दिन निकला तब रोने वाला तो मर गया, किन्तु बीमार अच्छा हो गया। जनाब, बहुत तेज घोड़े गिर गये हैं, पर लँगड़े गधे न कुशल पूर्वक यात्रा समाप्त की है। अक्सर हट्टे कट्टे पुरुष कब्र में डाल दिये जाते हैं और घायल आदमी मौत से बच जाते हैं।

एक गरीब लकड़हारा जंगल में लकड़ियाँ काट रहा था किसी ने उससे कहा-’देश के बड़े बड़े लोग ‘हातिम’ के यहाँ खाना खाते हैं। तू भी उनका मेहमान क्यों नहीं हो जाता?’ लकड़हारे ने जवाब दिया, ‘जो आदमी अपनी मेहनत से रोटी खाता है, उसे हातिम का एहसान उठाने की क्या जरूरत?’


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