महाराणा प्रताप ने अकबर से सुलह नहीं की। राजा मानसिंह आदि ने उन्हें समझाया, “समय का प्रवाह देखिए। सभी रियासतें अपना अस्तित्त्व बनाए रखने के लिये शहंशाह से सुलह कर रही हैं।” महाराणा ने कहा, “मेरे हिस्से में बापा रावल की परंपरा आई है। अन्य राजा-रईस अपनी परंपरा और ईमान देखकर निर्णय लें। मेरी परंपरा और अपना ईमान देखकर निर्णय लेना है। मुझे मेरी परंपरा और मरा अंतःकरण राष्ट्रीय गौरव खोकर सुख-सुविधा जुटाने की इजाजत नहीं देता। सुलह की बात समझानी है, तो बादशाह को समझाओ। अपने साँस्कृतिक गौरव की रक्षा हमारा कर्त्तव्य है, वही हम कर रहें हैं।”
महाराणा प्रताप ने आदर्शों की कसौटी पर अपना कर्त्तव्य निर्धारित किया। जन-प्रवाह की कसौटी पर करते तो इतिहास के मूल्यवान नग न कहलाते।