शहीदों के प्रति (Kavita)

January 2002

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रक्त से लिखा गया है, विजय का इतिहास जो। राष्ट्र का वंदन है, उस उत्सर्ग के उल्लास को॥

रक्त की हर बूँद, जन-जन के हृदय में लिख गईं। राष्ट्र-श्रद्धा, आपके हाथों सहज ही बिक गई॥ बल दिया बलिदान ने, इस राष्ट्र के विश्वास को। राष्ट्र का वंदन है, उस उत्सर्ग के उल्लास को॥

राष्ट्र की रग-रग फड़कती, आपके बलिदान से। राष्ट्र प्यारा हो गया है, हम सभी को प्राण से॥ राष्ट्र पर हम भी करेंगे समर्पित हर सांस को। राष्ट्र का वंदन है, उस उत्सर्ग के उल्लास को॥

आपकी गाथा सुनाई जाएँगी, संतान को। और माताएँ भरेंगी सुतों में स्वाभिमान को॥ छू लिया है आपने बलिदान के आकाश को। राष्ट्र का वंदन है, उस उत्सर्ग के उल्लास को॥

आपका परिवार अब राष्ट्रीय धरोहर हो गया। त्याग उसका, राष्ट्र के सम्मुख उजागर हो गया॥ राष्ट्र मुरझाने न देगा, आपके मधुमास को । राष्ट्र का वंदन है, उस उत्सर्ग के उल्लास को॥

आओ! सब मिल, शहीदों को श्रद्धाँजलि अर्पित करें। राष्ट्र के रक्षार्थ, सब कुछ मिटाने का व्रत धरें॥ ताकि जीवित रख सकें, उत्सर्ग के इतिहास को॥ राष्ट्र का वंदन है, उस उत्सर्ग के उल्लास को॥

-मंगलविजय ‘विजयवर्गीय’


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