सही विभूतियों को महत्व (Kahani)

December 2002

Read Scan Version
<<   |   <   | |   >   |   >>

राजकुमार पद्य महामंत्री मार्तंड के संरक्षण में व्यावहारिक प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे थे साधनों और विभूतियों का महत्व समझाते हुए महामंत्री ने एक उदाहरण रखा। दो युवक नकुल और प्रदीप को व्यवसाय करने के लिए अनुमति और साधन दिए गए। नकुल को नगर के बीच में तमाम अचल संपदा तथा लागत के लिए प्रचुर धनराशि दी गई। प्रदीप को अनुमति के साथ थोड़ा सा धन देकर विदा किया गया। कुछ दिनों के बाद उपस्थित होने के लिए कहा गया।

निर्धारित समय पूरा होने पर नकुल फटेहाल मे आए । बतलाया कि धन समाप्त हो गया, अचल संपत्ति बिक गई और वे श्रेष्ठी प्रदीप के दिनो को राहत कार्यक्रम के आधार पर गुजारा चला रहे हैं। श्रेष्ठी प्रदीप और कोई नहीं, सामान्य धन लेकर व्यवसाय प्रारंभ करने वाले युवक प्रदीप थे।

महामंत्री ने राजकुमार को समझाया देखा, नकुल जैसों के साधन विभूतियों के अभाव में नष्ट हो जाते हैं और प्रदीप जैसों के पास उनकी योग्यता, श्रमशीलता, लगन के आधार पर साधन पैदा हो जाते हैं। यह सत्य जो समझता है, वही सही विभूतियों को महत्व दे पाता है।


<<   |   <   | |   >   |   >>

Write Your Comments Here:


Page Titles