झपकी लें, स्वस्थ रहें

December 2002

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झपकी लेने को सामान्यतः समय की बरबादी या एक व्यसन माना जाता है। कहीं-कहीं तो इसे शारीरिक या मानसिक रोग का प्रतीक भी माना जाता है। परन्तु यह सब नहीं है। कार्य के अत्यधिक दबाव, पारी वाले कार्य के कारण या किसी अन्य कारणवश यदि हमारी रात की नींद अधूरी रह गई हो तो उसे हम झपकी लेकर दिन के समय पूरा कर सकते हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि झपकी द्वारा हम जीवन को अधिक स्वस्थ, स्फूर्त एवं सफल बना सकते हैं। इसकी अपनी उपयोगिता के साथ-साथ यह विज्ञान सम्मत भी है।

मस्तिष्कीय तरंगों पर शोध कर रहे वैज्ञानिकों के अनुसार मनुष्य में पूरे दिन में दो बार सोने की नैसर्गिक आवश्यकता है। एक रात्रिकाल में कई घण्टे तक लम्बी नींद की आवश्यक जरूरत और दूसरी दोपहर समय कुछ समय के लिए सोने की कम जरूरत। यही कारण है कि रात की सामान्य नींद लेते हुए भी हम दोपहर को उनींदे से महसूस करते हैं और अर्धजड़ित से हो जाते हैं। हमारे कार्य करने की क्षमता घट जाती है। इसी समय यंत्र मापन, रेलवे वार्निंग सिगनल, लेखा जोखा संबंधी कार्यों में सर्वाधिक चूक देखी जाती है, विशेषकर सड़क दुर्घटनाएँ इसी समय सबसे अधिक घटित होती हैं। एक अध्ययन के अनुसार सड़क दुर्घटनाओं में शराब के अलावा झपकी लेना दूसरा प्रमुख कारण है।

दोपहर को नींद की कम आवश्यक जरूरत को हम झपकी द्वारा पूरा कर सकते हैं। इससे हमारी शारीरिक थकान तो दूर हो जाती है साथ ही मानसिक क्षमता में भी वृद्धि हो जाती है। द सर्करे काऊर हॉस्पिटल माँट्रियल के नींद विशेषज्ञ रोजर गोडवोडर और जैक्स माँट प्लेजिर के अनुसार जो लोग झपकी लेते हैं उनका मानसिक सतर्कता का सूचक मानक ‘रिएक्शन टाइम’ अधिक पाया जाता है और दोपहर को लिए गए परीक्षणों में झपकी न लेने वालों की अपेक्षा वे गल्तियाँ भी एक तिहाई कम करते हैं।

झपकी हमारे मूड में भी आशाजनक सुधार लाती है, इससे मिलने वाली ताजगी तरह हमारे संबंधों को अधिक मधुर एवं सफल बनाती है। सेंल लाउस के मनोवैज्ञानिक जॉन टी.टाँव व उनके सहयोगी शोधार्थियों के अनुसार झपकी लेने वाले झपकी न लेने वालों की अपेक्षा अधिक स्मरण शक्ति दिखाते हैं, साथ ही अधिक प्रसन्न भी नजर आते हैं।

झपकी लेने का शारीरिक स्वास्थ्य से भी सीधा संबंध है। यूनान में आधे लोग झपकी लेते हैं और आधे नहीं। वहाँ पर किए गए अध्ययन के अनुसार जो व्यक्ति प्रतिदिन आधा घण्टा या अधिक झपकी लेते हैं उनमें कोरोनरी हृदय रोग की संभावना कम पाई गई। भूमध्यसागरीय और उष्णकटिबंधीय देशों में लोग दोपहर के समय विश्राम करते हैं, अधिकाँश लोग इस समय झपकी लेते हैं। उत्तरी यूरोप और उत्तरी अमेरिका में झपकी लेना एक स्वस्थ परम्परा नहीं मानी जाती, स्वास्थ्य संबंधी आँकड़ों के अनुसार भूमध्यसागरीय एवं उष्णकटिबंधीय देशों में कोरोनरी हृदय रोग उत्तरी यूरोप व अमेरिका की अपेक्षा कम होते हैं।

यह मान्यता उचित नहीं है कि झपकी लेने वाले आलसी, रुग्ण या जराग्रस्त होते हैं। अमेरिका में हुए एक प्रयोग के अनुसार वहाँ तीन चौथाई लोग झपकी इसलिए लेते हैं कि पाली वाले कार्य, रात्रि समय का देर तक अध्ययन या शिशुचर्या के कारण वे पूरी नींद नहीं ले पाते हैं। दूसरों में अधिकाँश शौकिया तौर पर झपकी लेते हैं। लेकिन ऐसा कोई प्रमाण नहीं मिला कि वे किसी भी तरह झपकी न लेने वालों से अधिक सुस्त या अकर्मण्य थे।

झपकी अनिद्रा रोग का एक महत्त्वपूर्ण निदान है। मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट फॉर साइकिएट्री, म्यूनिच के युवा मनोवैज्ञानिक डॉ. जर्गन जुली के अनुसार झपकी द्वारा लिए गए नींद के हल्के डोज हमारे अनिद्रा रोग को बहुत कुछ ठीक कर सकते हैं। डॉ. जुली ने चार घण्टे के अंतराल में प्रातः 9 बजे,दोपहर 1 बजे व सायं 5 बजे झपकी के लिए रखे हैं। उनके अनुसार हमें प्राकृतिक ऊँघाई के क्षणों से काफी-चाय या व्यायाम द्वारा नहीं जूझना चाहिए। कुर्सी पर बैठे-बैठे पीठ के सहारे एक छोटी सी झपकी बेहतर है। लेकिन बहुत छोटी झपकी अधिक सहायक नहीं होती। 5-10 मिनट की ‘केटनेप’ के ऊपर प्रयोग कर देखा गया कि नींद से वंचित लोगों की स्थिति में इससे कोई सुधार नहीं होता।

झपकी कब लें इसके संदर्भ में विशेषज्ञों की राय जानना आवश्यक है। विशेषज्ञों के अनुसार झपकी तब ली जाय जब इसकी आवश्यकता सर्वाधिक महसूस की जाय। पेन्सिलवेनिया यूनिवर्सिटी के मनोचिकित्सक मार्टिन ऑर्न के अनुसार रोगनिरोधक झपकी सतर्कता के पुनर्स्थापन में अधिक सहायक होती है। ऑर्न के अनुसार बहुत थकने से पूर्व ली गई झपकी थकावट को रोक देती है।

झपकी के कई लाभ के साथ इसमें कुछ कमियाँ भी हैं जिनके प्रति ध्यान देना जरूरी है। अधिकाँश लोग जागने पर भी एक नशे में रहते हैं। नींद विशेषज्ञ इसे निद्रा जड़त्व कहते हैं। अतः यदि हमें अचानक उठकर किसी जटिल मशीन या याँत्रिक क्रिया को संचालित करना हो तो उससे पूर्व झपकी लेना खतरनाक सिद्ध हो सकता है क्योंकि अर्धचेतना में यह एक गम्भीर दुर्घटना का कारण बन सकती है। अतः काम के समय यदि हम उनींदे महसूस कर रहे हों तो झपकी ले सकते हैं लेकिन इसके बाद 10-15 मिनट तक इंतजार कर “निद्रा जड़त्व” समाप्त होने पर कार्य शुरू कर सकते हैं।

दूसरा, झपकी गहन नींद की आवश्यकता को भी कम कर देती है। अतः अनिद्रा रोग से पीड़ित व्यक्तियों के लिए झपकी रात में सोने की समस्या को और जटिल कर सकती है।

इस तरह झपकी की त्रुटियों को भी ध्यान में रखते हुए हम अपनी सुविधानुसार झपकी लेकर नींद व थकान को पूरा कर सकते हैं और शारीरिक स्वास्थ्य एवं मानसिक स्फूर्ति के साथ जीवन को अधिक सफलता पूर्वक एवं सानन्द जी सकते हैं।


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