माँ! बबूल का पौधा लगा देने के बाद ज्यादा देख-रेख नहीं करनी पड़ती, वह अपने आप ही इतना बड़ा क्यों हो जाता हैं? बच्चे के इस प्रश्न का माँ ने “हाँ बेटा” कहकर संक्षिप्त उत्तर दे दिया। और क्योँ माँ, गुलाब छोटे-छोटे होते हैं, एक वर्ष में ही तैयार हो जाते हैं, तो भी उनके लिए पिताजी को दिन-रात परिश्रम करना पड़ता है। वह क्यों? बच्चे ने फिर प्रश्न किया। इस बार माँ ने बच्चे की जिज्ञासा का भरपूर समाधान करते हुए कहा-”बेटे! श्रेष्ठ वस्तुएँ सदैव परिश्रम से मिला करती हैं। ऐसा न होता तो अच्छे व बुरे में अंतर ही क्या रह जाता?”