देवसंस्कृति विश्वविद्यालय का निर्माणाधीन महाविद्यालय का भवन अब गायत्री कुँज में बनकर तैयार है। इसमें सातों आँदोलन के प्रशिक्षण का तंत्र गुरुपूर्णिमा से आरंभ हो सकेगा। इस विश्वविद्यालय को स्वतंत्र अपने पैरों पर खड़े करने की प्रारंभिक प्रक्रिया भी आरंभ हो चुकी है। अभी यहाँ चार फैकल्टीज आरंभ कर हेमवती नंदन बहुगुणा विश्वविद्यालय श्रीनगर से संबद्धता ली जा रही है। क्रमशः एक-दो वर्ष यह स्वतंत्र विश्वविद्यालय के रूप में कार्य कर सकेगा। इसके लिए फैकल्टी के सदस्यों के आवासों का निर्माण भी आरंभ हो चुका है। इसी के साथ-साथ ॐ आकार का ‘स्वास्थ्य फैकल्टी’ का विराट अनुसंधान केंद्र भी खड़ा होना आरंभ हो चुका है। परिजनों में से वरिष्ठ प्रतिभाशाली स्तर के ऐसे विभूतिवानों को इसमें भागीदारी हेतु आह्वान किया जा रहा है, जो साधना, शिक्षा, स्वास्थ्य स्वावलंबन चारों विधाओं के पाठ्यक्रम निर्माण की प्रक्रिया में सहयोग दे सकें। चूँकि विभिन्न भाषाओं का भी शिक्षण चलेगा, सभी भारतीय व विदुषी भाषाओं के विद्वानों-अनुवादकों का योगदान भी अपेक्षित है।