गुरुसत्ता के स्फुट विचारअखण्ड ज्योति परिवार एवं युग निर्माण मिशन

September 2000

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“युग निर्माण योजना को व्यावहारिक रूप देने के लिए हम ‘अखण्ड ज्योति परिवार’ को उसी तरह प्रयुक्त करेंगे, जैसे एक वैज्ञानिक अपनी प्रयोगशाला में तन्मय हो जाता है या एक माली अपने बगीचे में अपने आप को खो देता है। बगीचे का हर खिलता हुआ फूल माली की अंतरात्मा में प्रसन्नता की लहरें उद्वेलित करता है। हमारी प्रसन्नता का स्त्रोत भी अब अखण्ड ज्योति परिवार से संबद्ध स्वजनों के खिलते और निखरते जीवन के साथ संबद्ध रहेगा।”

-अखण्ड ज्योति सितंबर 1162, पृष्ठ 51

“युग निर्माण योजना कागजी या कल्पनात्मक योजना नहीं है। वह समय की पुकार, जनमानस की गुहार और दैवीय इच्छा की प्रत्यक्ष प्रक्रिया है। इसे साकार होना ही है। इसको आरंभ करने का श्रेय अखण्ड ज्योति परिवार को मिल रहा है, तो इस सौभाग्य के लिए हम में से प्रत्येक को प्रसन्न होना चाहिए और गर्व अनुभव करना चाहिए।”

-अखण्ड ज्योति दिसंबर 1165, पृष्ठ 43

“अखण्ड ज्योति परिवार के रूप में युग परिवर्तन के लिए किया गया छोटा-सा शुभारंभ वट-वृक्ष की तरह पल्लवित हो, ऐसी आशा और प्रार्थना हम सबको करनी चाहिए।”

-अखण्ड ज्योति मार्च 1163, पृष्ठ 41

“गायत्री उपासना और जीवन निर्माण विद्या के दोनों ही माध्यमों से हमारे साथ संबद्ध व्यक्तियों के विशाल जनसमूह को हम अखण्ड ज्योति परिवार के नाम से पुकारते हैं। यह सभी लोग हमें व्यक्तिगत रूप से अपने शरीर के अंगों की तरह प्रिय है और विश्वास है कि वे लोग भी हमें उसी दृष्टि से देखते हैं।”

-अखण्ड ज्योति जून 1163, पृष्ठ 15

“हमारा कार्यक्रम एक ही था, एक ही है और एक ही रहेगा। पशु को मनुष्य और मनुष्य को देवता बनाने का, नर से नारायण और पुरुष से पुरुषोत्तम बनने का मार्ग ही अध्यात्म हैं। हम उसी पर चलेंगे और उसी पर चलने की अपने साथी-सहचरों को प्रेरणा देंगे? युग निर्माण योजना के कार्यक्रमों में नवीन कुछ भी नहीं और न कोई मार्ग परिवर्तन जैसी बात है। स्तर बढ़ने के साथ-साथ जिम्मेदारी बढ़ने भर की बात है। जप करना सिखाकर आरंभ किया गया था, पर उसका अंत इतने संकुचित क्षेत्र में नहीं हो सकता। युग निर्माण का कार्य वाचालों और चातुर्य पारंगत लोगों का नहीं, वरन् निष्ठावानों का है।”

-अखण्ड ज्योति जून 1163, पृष्ठ 11

“अखण्ड जयति का अध्यात्मिक मिशन ईश्वरीय प्रेरणा और निष्ठ के आधार पर ही गतिशील रह सका है। यदि आगे उसे कुछ और सेवाकार्य करने का श्रेय मिलना होगा, तो वह ईश्वरीय शक्ति की सहायता से ही संभव होगा। अखण्ड ज्योति परिवार में सभी सदस्यों को भगवान् से प्रार्थना करनी चाहिए कि वह हमें ऐसा आत्मबल दें, जिसके सहारे आदर्श का उत्कृष्ट जीवन बिताने और देश, धर्म, जाति और संस्कृति की सेवा कर सकने का अवसर मिले।”

-अखण्ड ज्योति दिसंबर 1163, पृष्ठ 50

“युग निर्माण आँदोलन का लक्ष्य मानवसमाज को स्वस्थ शरीर, स्वच्छ मन और सभ्य समाज की महान् उपलब्धियाँ प्रदान करना है। यह तीनों विभूतियाँ भावनात्मक नवनिर्माण के द्वारा ही संभव होगी। धरती पर स्वर्ग अवतरण इन्हीं भागीरथी प्रयत्नों द्वारा संभव होगा। सतयुग एवं रामराज्य की पुनः प्रतिष्ठापना का यह एकमात्र मार्ग है।”

-अखण्ड ज्योति मार्च 1167, पृष्ठ 2

“अखण्ड ज्योति परिवार का संगठन हमारे विशेष प्रयत्नों का फल है। सूक्ष्म दृष्टि से ढूंढ़-ढूंढ़कर हमने देशभर से संस्कारवान् जागृतात्माओं को प्रयत्नपूर्वक एकत्र किया है। इसमें बहुत समय लगा है और बहुत श्रम। परिवार के अधिकाँश सदस्य पूर्वजन्मों की भारी आध्यात्मिक संपदा से संपन्न है।”

-अखण्ड ज्योति नवंबर 1168, पृष्ठ 63

“विडंबनाओं में हम भटकते कितने ही क्यों न रहें, गति और शाँति का लक्ष्य तभी प्राप्त किया जा सकेगा, जब भावनात्मक नवनिर्माण की महती आवश्यकता को पूरा करने के लिए सच्चे, गहरे और व्यापक स्तर पर प्रयत्न किए जाएँ। युग निर्माण योजना द्वारा यही किया जा रहा है। समय ही बताएगा कि जब सब और अंधेरे में भटकना ही बन पड़ रहा था, तब एक सही प्रयास भी चला था और उसने अपने स्वल्प साधनों से ही चमत्कार प्रस्तुत किया था।”

-अखण्ड ज्योति मार्च 1174, पृष्ठ 52

“अखण्ड ज्योति ने अपने प्रयासों के उस उद्गम पर केंद्रित किया है, जहाँ से विकास और विनाश के दोनों ही झरने फूटते हैं। विकृत चिंतन का निवारण व जनमानस में परिष्कृत दृष्टिकोण का प्रतिष्ठापन, यही है हमारा विचारक्राँति अभियान। यही है इस युग का सर्वोपरि महत्वपूर्ण धर्मानुष्ठान ज्ञानयज्ञ। युग निर्माण योजना इन्हीं प्रयत्नों में प्राणपण से संलग्न है।”

-अखण्ड ज्योति जुलाई 1175, पृष्ठ 61


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