वेदों का भाष्य (kahani)

September 2000

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आचार्य महीधर आत्मज्ञान की इच्छा से घर छोड़कर विरक्त हो गए। उनकी माँ घर में कष्ट उठा रही है, इसका भी ध्यान न रहा। बहुत दिन तप-साधना करने पर भी उन्हें पूर्णता प्राप्त न हुई, तब वे घर लौट आए। बेटे को पाकर माँ के हर्ष का ठिकाना न रहा। उन्होंने कहा, बेटा! तूने दुःखी का दुःख पहचान लिया, तुझे पूर्णता प्राप्त होगी। माँ के आशीर्वाद का ही फल था कि महीधर को वेद-ज्ञान प्राप्त हुआ। उन्होंने चारों वेदों का भाष्य करने का गौरव प्राप्त किया।


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