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September 2000

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आत्मनिरीक्षण करें

हम आत्मनिरीक्षण की ओर बढ़े। अपने स्वयं के भूल, वर्तमान और भविष्य से भी ज्ञान उपलब्ध करना चाहिए। देखना अधोगामियों को ही नहीं चाहिए, वरन् वायु और अग्नि की तरह ऊपर की दिशा में ही बढ़ने वालों पर भी ध्यान देना चाहिए। नजर उठाकर उस ओर भी निहारना चाहिए, जिस दिशाधारा को महामानवों ने अपनाया और उत्कृष्ट आदर्शवादिता पर चलते हुए पीछे वालों के लिए ऐसा मार्ग छोड़ा है, जिसका अनुकरण करने पर अपने को और साथी-सहचरों को भी धन्य बनाया जा सके। समझदारी यदि साथ दे सके, तो पहुँचा इस निष्कर्ष पर जाना चाहिए कि पतन से विमुख होकर उत्थान का मार्ग अपना ही श्रेयस्कर है।

(वाङ्मय 28, पृष्ठ 7, 41)


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