Quotation

July 1999

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उस परिमित और संकुचित स्वार्थ को त्याग देना चाहिए, जो सम्पूर्ण वस्तुओं को अपने लाभ ही के लिए चाहता है। सच्चा स्वार्थ परमार्थ ही हो सकता है।


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