पथ प्रभु प्रेम का

July 1999

Read Scan Version
<<   |   <   | |   >   |   >>

आखिर भयभीत क्यों हों? न तो इहलोक में, न परलोक में ही भय का कोई कारण है। सभी जीवों को आलोकित करता हुआ प्रेम का महाभाव विद्यमान है और उस प्रेम के लिये ईश्वर के अतिरिक्त और कोई दूसरा नाम नहीं है। ईश्वर तुमसे दूर नहीं है। वह देश की सीमा में बद्ध नहीं है, क्योंकि वह निराकार एवं अंतर्यामी को पूर्णतः उसके प्रति समर्पित कर दो। शुभ तथा अशुभ तु जो सर्वस्य समर्पित कर दो। कुछ भी बचा न रखो। इस प्रकार के सर्वस्य समर्पण के द्वारा तुम्हारा संपूर्ण चरित्र बन जायेगा। विचार बना जायेगा। विचार करो प्रेम कितना महान है। यह जीवन से भी बड़ा तथा मृत्यु से भी अधिक सशक्त है। ईश्वरप्राप्ति के सभी मार्गों में यह सर्वाधिक शीघ्रगामी है।

ज्ञान का पथ कठिन है। प्रेम का पथ सहज है। शिशु के समान सरल-निश्छल बनो। विश्वास और प्रेम रखो, तब तुम्हें कोई हानि नहीं होगी। धीर और आशावान् बनो, तब तुम सहज रूप से जीवन की सभी परिस्थितियों का सामना करने में समर्थ हो सकोगे। उदार हृदय बनो। क्षुद्र अहं तथा अनुदारता के सभी विचारों को निर्मल कर दो। पूर्ण विश्वास के साथ स्वयं को ईश्वर के प्रति समर्पित कर दो। वे तुम्हारी सभी बातों को जानते है। उनके ज्ञान पर विश्वास करो। वे कितने पितृतुल्य हैं, सर्वोपरि वे कितने मातृतुल्य है। अनंत प्रभु अपनी अनन्तता में तुम्हारे दुख के सहभागी है। उनकी कृपा असीम है। यदि तुम हजार भूले करो तो भी प्रभु तुम्हें हजार बार क्षमा करेंगे। यदि दोष भी तुम पर आ पड़े तो वह दोष नहीं रह जायेगा। यदि तुम प्रभु से प्रेम करते हो। अत्यंत भयावह अनुभव भी तुम्हें तुम्हारे प्रेमास्पद प्रभु के सन्देशवाहक ही प्रतीत होंगे।

निश्चित ही प्रेम के द्वारा ही तुम ईश्वर को प्राप्त करोगे। क्या माँ सर्वदा प्रेममयी नहीं होती? वह अपना ईश्वर आत्मा का प्रेमी भी कुछ उसी प्रकार का है विश्वास करो! केवल प्रेमपूर्ण विश्वास करें!! फिर तुम्हारे लिए सब कुछ ठीक हो जायेगी। तुमसे जो भूलें हो गयी है, उसने तनिक भी भयभीत न होओ। मनुष्य बना- सच्चे अर्थों में मनुष्य-वह मनुष्य जिसके पास प्रेम से लबालब भरा हुआ हृदय है। जीवन का साहसपूर्वक सामना करो। जो भी हो उसे होने दो। प्रभु प्रेम की शक्ति से ही तुम शक्तिशाली बन सकते हो। स्मरण रखें कि तुम्हारे पास अनंत शक्ति है। तुम्हारे परम प्रेमास्पद प्रभु स्वयं तुम्हारे साथ। फिर तुम्हें क्या हो सकता है? प्रभु प्रेम के इस पथ पर निर्भीक हो बढ़े चलो, सबकुछ वह स्वतः होता चला जायेगा। तुम्हारे लिए परम कल्याणकारी एवं प्रीतिकर है।


<<   |   <   | |   >   |   >>

Write Your Comments Here:


Page Titles