वह ऐतिहासिक स्वप्न जो सच्चाई बना

July 1999

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एक अमेरिकन लेखक रॉबर्टसन ने सन 1818 में एक भयानक स्वप्न देखा। उसने देख कि अप्रैल का एक भयानक दिन है। 100 फुट लंबा और 70,000 टन भारी एक जलपोत है। नया बना हुआ यह विशाल जलयान, जिसमें 2250 यात्री यात्रा कर सकते है, अपनी प्रथम यात्रा के लिये तैयार है। बंदरगाह में उसकी प्रथम यात्रा के उपलब्ध में समारोह मनाया जा रहा है। चारों ओर झंडियां टंगी हुई है, झंडा लहरा रहा है। और बैंड बज रहे हैं। जहाज में चार लाल चिमनियाँ है। जहाज का नाम (टाइटन) स्पष्ट दिखाई दे रहा था। उसके अंत के दो अक्षर धुँधले थे।

जहाज जैसे ही रवाना हुआ, आकाश में बादल घिर आए, भौंपू बज उठे और जहाज अटलांटिक महासागर की छाती चीरता हुआ अमेरिका की ओर रवाना हुआ। स्वप्न के दूसरे भाग में राबर्टसन ने देखा कि जहाज के यात्री आनन्द मना रहे है, लेकिन किसी भावी विपत्ति की संभावना से आतंकित भी है। यह देखकर राबर्टसन भी स्वप्न में आशंकाकुल हुआ। उसने भरसक चाहा कि जहाज के कप्तान को जिसका नाम स्मिथ है, आने वाले खतरे से आगाह कर दे, लेकिन वह कर नहीं सका धीरे-धीरे वायु का प्रकोप बढ़ता गया। समुद्र क्षुब्ध हो उठा। मगर जहाज के संपन्न और धनी यात्री अपने आमोद-प्रमादे में लीन रहे। राबर्टसन को सपने लगा कि जहाज पर मूल्यवान चिन्ह या प्राचीन पुस्तकें है जहाज के साथ ही वे वस्तुएँ भी नष्ट हो जाएँगी।

राबर्टसन ने सपने में ही चिल्लाते हुए कप्तान से जहाज की गति कम करने का अनुरोध किया, पर कप्तान ने जैसे कुछ सुना नहीं। इतने में एक विशाल हिमखण्ड जहाज से आ टकराया और बड़े जोर से जहाज टूटने की आवाज आयी। इसी के साथ जहाज पर हाहाकार मच गया।

उसी समय राबर्टसन को आँखें खुल गयी उसकी शेष रात बड़ी बेचैनी में कटी। धीरे धीरे इस स्वप्न को देखें एक साल बीत गया। एक वर्ष पूर्व देखा हुआ स्वप्न उसके लिए एक उपन्यास का मामला बन गया। उसने ‘फ्यूटिलिटी’ नामा से एक उपन्यास लिख और बोस्टन के एक प्रकाशक के हाथ सौ डॉलर में बेच दिया। बात आई गयी हो गई। राबर्टसन को स्वप्न देखे चौदह वर्ष और उपन्यास लिख 13 वर्ष बीत गये। सन् 1912 में संसार यह सुनकर आश्चर्यचकित रह गया कि इंग्लैण्ड में हृइट स्टान लाइन ने "टाइटैनिक" नामक एक विशाल जलपोत तैयार किया है। उसका वजन भी लगभग 70000 टन था। लंबाई 100 फुट थी और उस पर भी 2240 यात्री यात्रा कर सकते थे। उसे भी कोई तूफान डूबो नहीं सकता था। वह भी अपनी प्रथम यात्रा अटलांटिक महासागर से अमेरिका के लिए करने वाला था।

उपन्यासकार मोर्गनरॉबर्टसन ने जब यह समाचार समाचारपत्रों में पढ़ा तो उसे लगा कि यह तो कुछ परिचित-सा मामला है। अचानक उसे तेरह वर्ष पूर्व लिखे गये अपने उपन्यास ‘फ्यूटिलिटि’ उपन्यास की याद आयी। राबर्टसन के मुख से अचानक निकल गया है भगवान! क्या मेरे माध्यम से तूने इस दुर्घटना की पूर्व सूचना की थी? उसने व्याकुल होकर सोचा क्या मैं हृइट स्टान लाअन को चेतावनी दूँ? लेकिन मेरे पर कौन यकीन करेगा? लोग हंसेंगे।

14 अप्रैल 1926 की रात को इंग्लैंड के हृइट स्टार का विशाल जलपोत "टाइटैनिक" जो उस समय संसार का सबसे बड़ा और मजबूत जहाज था, अपनी पहली यात्रा पर न्यूयार्क के लिये रवाना हुआ। जहाज में 2200 व्यक्ति सवार थे। उसमें यूरोप और अमेरिका के अनेक प्रतिष्ठित और गणमान्य व्यक्ति थे। यह विशाल टाइटैनिक जहाज अपनी यात्रा के पाँचवें दिन जल में समाधिस्थ हो गया। आश्चर्यजनक बात यह कि ‘ टाइटैनिक' और उसके दुर्भाग्य का विवरण अक्षरशः वैसा ही था, जैसा कि ‘फ्यूटीलिटी’ उपन्यास में ‘टाइटन’ की स्वप्न कथा में था। यहाँ तक कि स्वप्न के जहाज का वजन लंबाई, और रंग भी टाइटैनिक के समान ही था। दोनों जहाजों में चार ही चिमनियाँ थी। सबसे अधिक आश्चर्य की बात यह है कि दोनों जहाजों के कप्तान का नाम भी एक ही था। स्वप्न में देखे गए जहाज के नाम के अंग्रेजी के अंतिम दो अक्षर आई और सी धुँधले हो गए थे। दोनों जहाजों में जहाज का निर्माता जहाज पर यात्रा कर रहा था। स्वप्न और यथार्थ दोनों ही में निर्माता ने जलयान के साथ ही जल समाधि ली, दोनों जहाजों में लाइफ बोटे कम थी इसलिये दोनों जहाजों में केवल प्रभावशाली और सम्पन्न लोग ही बच सके। दोनों जहाजों में उमर खैयाम की रुबाइयों की एक बहूमूल्य प्रति भी जहाज के साथ नष्ट हो गयी।

राबर्टसन का देखा हुआ भयानक स्वप्न चौदह वर्ष बाद वैसे ही घटित हुआ, जैसा उसने देखा और बाद में अपने उपन्यास में लिखा था। इस प्रत्यक्ष घटनाक्रम के बाद कौन कह सकता है। कि स्वप्न हमें भविष्य का पूर्वाभास नहीं कराते है?


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