युगसंधि की इस वेला में, जहाँ पके फोड़े के फटने और दुर्गंध भरा मवाद निकलने की संभावना है, वहाँ यह भी निश्चित है कि आपरेशन के बाद दर्द घटेगा, घाव भरेगा और संचित विकारों से छुटकारा मिलेगा।
परमपूज्य गुरुदेव अखण्ड ज्योति नवंबर, 1988
रेशम के कीड़े अपनी लार से अपना घर बनाते हैं और उसी में जकड़कर मरते रहते हैं, पर जो चतुर कीड़े होते हैं। वे उस लार से बने घर को काटकर बाहर निकल आते हैं और उड़ जाते हैं। मनुष्य अपने लिए बंधन आप अपने अज्ञान से खड़े करता है। उन्हीं में जकड़ा सड़ता-मरता रहता है। यदि वह चाहे तो विवेकरूपी मुख से उन्हें काट भी सकता है और रेशम के कीड़े की तरह बंधन से मुक्त भी हो सकता है।