VigyapanSuchana

July 1999

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पूज्यवर ने अपनी सभी मानसपुत्रों, अनुयाइयों के लिए मार्गदर्शन एवं विरासत में जो कुछ लिख है- वह अलभ्य ज्ञानामृत (पं. श्रीराम शर्मा आचार्य वांग्मय सत्तर खंडों में) अपने घर में स्थापित करना ही चाहिए। यदि आपको भगवान ने संपन्नता दी है, तो ज्ञानदान, कर पुण्य अर्जित करें। विशिष्ट अवसरों एवं पूर्वजों की स्मृति में पूज्यवर का वांग्मय विद्यालयों, पुस्तकालयों में स्थापित कराएँ। आपका यह ज्ञानदान आने वाली पीढ़ियों तक को सन्मार्ग पर चलाएगा, जो भी इसे पढ़ेगा धन्य होगा।

45-साँस्कृतिक चेतना के उन्नायक सेवाधर्म के उपासक

संस्कृति और राष्ट्र की रक्षा के लिए सेवाधर्म के सच्चे उपासकों ने किस प्रकार अपने को नियोजित किया, इसे सीखने के लिए इनका अवलोकन एवं स्वाध्याय आवश्यक है-

लोककल्याणव्रती महात्मा बुद्ध

अहिंसा एवं अपरिग्रह के प्रतीक - महावीर स्वामी।

मानवता के उपासक ईसामसीह।

वैदिक धर्म के पुनरुद्धारक जगद्गुरु शंकराचार्य।

व्यावहारिक अध्यात्म के शिल्पी संत कबीर।

प्राणिमात्र के समदर्शी संत नामदेव।

दलितों को गले लगाने वाले गुरुनानक देव।

धार्मिक नवचेतना के अवतार महाप्रभु चैतन्य।

सेवा-सहिष्णुता के उपासक संत तुकाराम।

भक्ति-शक्ति स्वरूप समर्थ गुरु रामदास।

भक्ति-शौर्य संपन्न गुरु गोविंद सिंह।

46- भव्य समाज का अभिनव निर्माण

समाज का सर्वतोमुखी विकास समाज की समता और उसकी एकता पर निर्भर है। समाज में व्याप्त अनेक भेद-प्रभेद और विरुप-विषम मान्यताओं को त्यागकर ही उसकी उन्नति होती है। इसके लिए हमें यह भी जानना होगा-

सभ्य समाज की अभिनव संरचना।

हमारी आध्यात्मिक क्राँति और प्रबुद्ध व्यक्ति।

नया संसार बसाएँगे, नया इंसान बनाएँगे।

प्रस्तुत विश्वसंकट में हमार कर्त्तव्य और उत्तरदायित्व।

वर्गभेद एवं ऊँच नीच की समाप्ति।

रामायण में छुआछूत पर चिंतन।

एकता-समता की ओर, संघे शक्तिः कलौयुगे।

संगठन तो बनें पर सज्जनों के ही।

समग्र प्रगति सहयोग-सहकार पर निर्भर।

सहकारिता एक अमोघ शक्ति।

संगठन का मेरुदंड स्वयं बने।

47- यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते, रमन्ते तत्र देवता

हमारे देश में प्राचीन मान्यता रही है कि जिस परिवार में नारी को समुचित सम्मान मिलता है, वह परिवार सुनिश्चित रूप से फलता-फूलता है। यही स्थिति समाज के साथ भी है, किन्तु कुछ महान नारियों ने अपने समाज की विषम धारा के बदला है, इनमें हैं-

विश्व की महान क्राँतिकारी महिलाएँ।

क्राँति की अग्रदूत भारतीय वीराँगना।

सेवाधर्म की सिद्ध साधिकाएं।

भिखारिन छोगरिया बाई का दान।

समाजसेवी विदेशी नारियाँ-गोल्डामेयर क्लेरा बर्टन, अन्ना फ्रायड।

उदारमना महिलाएँ कमलादेवी चट्टोपाध्याय।

48- समाज का मेरुदण्ड सशक्त परिवार तंत्र

परिवार के प्रति यदि सच्ची आत्मीयता, शुभेच्छा, सद्भावना किसी के मन में है तो उसे क्रियान्वित करने का एकमात्र मार्ग यही है कि, परिवार के सदस्यों को सुसंस्कृत बनाया जाय। पर इसके कुछ नियम हैं, सिद्धांत हैं, जिन्हें जानना आवश्यक है-

समाज देवता का अनुपम उपहार-परिवार

पारिवारिक सुसंस्कारिता की प्रमुखता।

वातावरण का मनुष्य पर प्रभाव।

सुधार-परिवर्तन की सरल प्रक्रिया।

पथभ्रष्ट परिवार कैसे सुधरें?

बालनिर्माण में परिवार की भूमिका

संयुक्त परिवार एक आदर्श प्रणाली।

परिवार न तोड़े।

अधिक व्यय करने की हानियाँ।


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