पुराने समय की बात है। एक महात्मा को किसी जघन्य अपराध में पकड़ लिया गया व उन्हें दोषी मान दोष स्वीकारने के लिए यातनाएँ दी गई। महात्मा थे बिलकुल निर्दोष। चुपचाप मार सहते गए, अंततः उन्हें छोड़ दिया गया।
एक सज्जन यह दृश्य देख रहे थे। उन्होंने पूछा-गज़ब है, आप इतने दुर्बल व कृषकाय इतनी यातना कैसे सह गए? महात्मा बोलो- विपत्ति सहने के लिए शरीर की नहीं, आत्मा की शक्ति होनी चाहिए।