Quotation

April 1999

Read Scan Version
<<   |   <   | |   >   |   >>

मुर्गा बाँग देता है और सूरज उगता है। एक व्यक्ति को विश्वास हो गया कि सूरज उगता है तो मुर्गे की बाँग से। एक दिन उस आदमी का झगड़ा हो गया गाँव वालों से।उसने कहा याद रखना यदि मैं अपने मुर्गे को लेकर गाँव से चला जाऊँगा तो सूरज न उगेगा तुम्हारे गाँव में।बैठे रहना अंधेरे में। वह मुर्गा लेकर दूसरे गाँव चला गया।दूसरे दिन तड़के मुर्गे ने बाँग दी और सूरज निकला इस गाँव में। उस आदमी ने कहा अब पीटते होंगे सिर उस गाँव के लोग।मुझसे बिगड़कर व्यर्थ ही अंधकार की मुसीबत मोल ले ली। उसे भ्रम था कि जहाँ मुर्गा बाँग देता है वही सूरज निकलता है। अच्छे अच्छों को भ्रम हो जाता है कि उनके बिना काम नहीं चल सकता।भगवान की लीला बड़ी विलक्षण है।


<<   |   <   | |   >   |   >>

Write Your Comments Here:


Page Titles