पुत्र ने पिता से पूछा- वृक्ष को शंकर भगवान की उपमा क्यों दी जाती है पिताजी? पिता ने कहा-बेटा समुद्रमंथन हुआ तो उसमें से विष भी निकला, जब उसे किसी ने ग्रहण नहीं किया, तो शंकर जी ने पीकर मानवता की रक्षा की। शंकर जी ने तो ऐसा एक बार ही किया, पर धरती के जितने भी जीवधारी अपनी गंदी साँस का जहर निकालते हैं, बेचारे वृक्ष उसे पीकर बदले में स्वच्छ ऑक्सीजन देते हैं। जिससे उनका जीवन सुरक्षित बना रहता है। पुत्र बोला- फिर तो वृक्ष महाशंकर हुए पिताजी।