युगपुरुष की लेखनी से- - पं. श्रीराम आचार्य वांग्मय-अमृतकलश

April 1999

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17-प्राणशक्ति एक दिव्य विभूति

समस्त संसार में वायु, आकाश, प्रकाश, ईथर, प्लाज्मा की सजीव प्राणशक्ति समायी हुई है। प्राणशक्ति एक बहुमूल्य विभूति है। यह वीति सबके शरीर में पाँच प्राण, पंचदेवों के रूप में विद्यमान है। इन्हें जानने के लिए हम जानें-

मानवी विद्युत, प्राणशक्ति, तेजोवलय, चुम्बकीयशक्ति।

अपने प्रभामण्डल द्वारा पढ़ा जाएगा मनुष्य।

मन ही मित्र, मन ही शत्रु, महाप्राण बने।

पराप्रकृति, प्राणतत्व, श्वास-प्रक्रिया।

गुप्त बातों को जाना, महामानवों से लिपटी प्राण-सत्ता।

आत्मसत्ता में प्राणसत्ता, तेजोवलय-आत्मबल।

पेड़-पौधों में भी मनुष्य स्तर का विद्युत।

देह पिंजर-प्राणाग्नि का पुँज,शरीर-बिजलीघर।

जैव चुम्बकत्व में निहित शक्ति-सामर्थ्य, पाँच-प्राण।

बायोलॉजिकल प्लाज्मा बॉडी।

प्राणवान बनने की प्रक्रिया, प्राण-चिकित्सा।

अतीन्द्रियशक्ति का उद्भव और विकास।

18-चमत्कारी विशेषताओं से भरा मानवी मस्तिष्क

मनुष्य का शरीर अपने आप में एक अजूबा है। इसमें मनुष्य के मस्तिष्क की क्षमता तो अद्भुत है। इस मस्तिष्क से मानव ने एक-से-एक बढ़कर संसार में ऋद्धि-सिद्धियाँ प्राप्त की हैं। मस्तिष्क की विशेषताओं को जानने के लिए पठनीय है-

मानवी मस्तिष्क-प्रत्यक्ष कल्पवृक्ष।

शरीर के खोखले में प्रखर मस्तिष्क।

मस्तिष्कीय क्षमताएँ जगाने हेतु विज्ञानवेत्ताओं के प्रयास।

मानव मस्तिष्क का विलक्षण रसायनशास्त्र।

अंतःस्रावी ग्रंथियाँ, हारमोन नियंत्रण।

पीनियल ग्रंथि-रहस्यों की पिटारी, स्मरणशक्ति।

लिंग परिवर्तन क्यों? कैसे? मानवेत्तर प्राणियों में भी।

काया के घट-घट में छिपी विलक्षण सामर्थ्य।

प्रतिभा जागरण, इकलौती संतान प्रतिभाशाली होती है।

मानवी मस्तिष्क-जादुई पिटारा, हमारे वश में शरीर चेतना।?

बढ़ती आयु के साथ मेधा और प्रखर होती है।

आध्यात्मिक उपचार आत्म तत्व की परिष्कृति।

19-शब्दब्रह्म नादब्रह्म

प्राचीन भारतीय शास्त्रों में शब्दब्रह्म और नादब्रह्म को सदैव ही महत्व दिया जाता रहा है। आधुनिक विज्ञान ने भी शब्द और नाद की सूक्ष्मशक्ति को स्वीकार किया है। बताया है, इनसे अनेक लाभ प्राप्त किये जा सकते हैं। इस ज्ञान के लिए हम पढ़ें-

शब्दब्रह्म शब्दतत्व की शक्ति।

सात्विक शब्दों की सामर्थ्य बुरे शब्दों से बीमारियाँ।

शब्दयोग-श्रवणशक्ति की दिव्य क्षमता।

शब्द शक्ति से रोगों की चिकित्सा।

वैदिक स्वर प्रक्रिया-सामगान, भाव विज्ञान एवं गायन।

मंत्रशक्ति का रहस्य, जप का महत्व-वैज्ञानिक आधार।

याँत्रिकी का सुव्यवस्थित सुनियोजन।

शाप-वरदान का दैवी उपक्रम।

मेजरकार्लडिक को साधु का शाप।

मंत्र शक्ति के उद्गम-जिह्वा और हृदय।

नादब्रह्म- ॐ की सामर्थ्य, संगीत महाशक्ति।

20-व्यक्तित्व विकास हेतु उच्चस्तरीय साधनाएँ

मनुष्य ने ज्ञान के द्वारा इस संसार में अनूठी सफलताएँ प्राप्त की हैं। मनुष्य ने अपने व्यक्तित्व के विकास हेतु जीवन में अनेक उच्चस्तरीय साधनाएँ की हैं और उनका अद्भुत लाभ उठाया है। हम भी ये लाभ उठा सकते हैं यदि, समझ लें-

आसन, मुद्रा बंध, साधन-पथ, प्राणायाम के लाभ।

खेचरी मुद्रा की प्रक्रिया और उपलब्धि, सोमरसपान।

शक्तिचालिनी मुद्रा, प्राणायाम विज्ञान।

साँस लेने की ठीक विधि।

महिलाओं के लिए उपयोगी कुछ प्राणायाम।

प्राणायाम से जुड़ी वर्ण-चिकित्सा, रक्तचालन अभ्यास।

उज्जायी, भस्त्रिका, सूर्यभेदी, शीतली, भ्रामरी, प्लावनी, नाड़ीशोधन प्राणायाम।

कुण्डलिनी जागरण, स्वर शोधन, तत्व शोधन


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