गायत्री परिवार स्वार्थी, कायर एवं संकीर्ण लोगों में अपनी गणना नहीं करा सकता। उसके सामने एक उद्देश्य एवं लक्ष्य है, वह है-बुराइयों के उन्मूलन एवं अच्छाइयों के अभिवर्द्धन का सत्प्रयत्न। हममें से प्रत्येक को इस समुद्रमंथन के समय देवपक्ष को सबल बनाने के लिए भागीदार होना पड़ेगा।
युगपरिवर्तन की वेला में हममें से प्रत्येक का कुछ कर्तव्य है और उस कर्तव्य की उपेक्षा नहीं की जानी चाहिए। धर्म और अधर्म के महायुद्ध को दर्शक बनकर देखते नहीं रहा जाना चाहिए। अपनी सामर्थ्यानुसार कुछ तो करें। यदि आज की विषम परिस्थितियों में भी हम बिगाड़ को रोकने के लिए कुछ नहीं करते, तो आगामी पीढ़ियाँ हमारी इस निष्क्रियता को क्षमा नहीं करेंगी। इस महाभारत के मध्य में खड़ा हुआ अब कोई अर्जुन कमजोरी की बात नहीं कर सकेगा। उसे गाँडीव उठाना ही होगा और अधर्म के संहार और धर्म स्थापना के लिए जूझना ही होगा।-अखण्ड ज्योति (फरवरी, 1962)