Quotation

April 1999

Read Scan Version
<<   |   <   | |   >   |   >>

जिसने यह संसार बनाया है, उसने यह अंकुश भी हाथ में रखा है कि जब मर्यादा उल्लंघन चरम सीमा तक पहुँच जाए और लोग विवेक खोकर अनाचार अपनाने पर ही उतारू हो जाएँ, तो उनकी खोज-खबर ली जाए, काबू में लाने के लिए कठोरता भी अपनायी जाए। उलटी चाल चलने वाले को कड़ाई अपनाकर सीधा चलने के लिए बाधित किया जाए। इन दिनों ऐसा ही हो रहा है। प्रस्तुत विपत्तियों को देखते हुए लोगों को यह समझने के लिए बाधित किया जा रहा है कि सही रीति का परित्याग करने पर उन्हें कितनी विपरीत परिस्थितियों का सामना करना पड़ सकता है। 600 करोड़ व्यक्तियों के लिए जहाँ स्रष्टा ने ने समुचित साधन जुटाने की दया दिखाई है, वहाँ उन्हें यह भी करना पड़ा है कि उनके किए के लिए समुचित दंड व्यवस्था भी विद्यमान हो। सर्वविदित है कि ऐसे कृत्य को निर्दयतापूर्ण ही कहा जाएगा, पर व्यवस्था तो व्यवस्था ठहरी। इन दिनों बारीकी से देखने पर यह भलीभाँति समझा जा सकता है कि पिछले दिनों जो अनाचार अपनाया जाता रहा है, उनकी प्रतिक्रिया कितनी कटु और भयंकर हुई है।-पं. श्रीराम शर्मा आचार्य (वांग्मय ग्रंथ क्र. 29 पृष्ठ 13)


<<   |   <   | |   >   |   >>

Write Your Comments Here:


Page Titles






Warning: fopen(var/log/access.log): failed to open stream: Permission denied in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 113

Warning: fwrite() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 115

Warning: fclose() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 118