संत नानक एक गाँव में गये। वहाँ के निवासियों ने बड़ा आदर किया। चलते समय नानक जी ने आशीर्वाद दिया-उजड़ जाओ।”
वे दूसरे गाँव में गये तो वहाँ के लोगों ने तिरस्कार किया, कटुवचन बोले और लड़ने-झगड़ने पर उतारू हो गये। नानक जी ने आशीर्वाद दिया- ‘‘आबाद रहो।”
साथ में चल रहे शिष्यों ने पूछा-भगवन्! आपने आदर करने वाले को ‘उजड़ जाओ और तिरस्कार करने वाले को ‘आबाद रहो’ का उलटा आशीर्वाद क्यों दिया?”
नानक ने कहा- सज्जन लोग उजड़ेंगे, वो वे बिखरकर जहाँ भी जाएँगे, सज्जनता फैलाएँगे, इसलिए उनका उजड़ना ही ठीक है, किन्तु दुर्जन सर्वत्र अशान्ति उत्पन्न न करें, इसलिए उनके एक ही जगह रहने में भलाई है।”