एक बार स्वामी विवेकानन्द बनारस की एक गली से गुजर रहे थे। तभी एक बन्दर उनके पीछे दौड़ा। स्वामी जी बन्दर से बचने के लिए आगे दौड़ने लगे। बन्दर उन्हें पीछे से खदेड़ने लगा।
चूहे-बिल्ली की इस दौड़ को देखकर एक साधारण से व्यक्ति ने कहा-स्वामी जी भागते क्यों हैं आप? पीछे मुड़कर मुकाबला कीजिए। ऐसा सुनते ही स्वामी जी एकदम पीछे मुड़े और बन्दर का सामना करने के लिए वहीं खड़े हो गए। अब तो बन्दर भाग खड़ा हुआ।
स्वामी जी लिखते हैं कि इस घटना का मेरे ऊपर बड़ा गहरा प्रभाव पड़ा। उस साधारण से आदमी से मुझे असाधारण सीख मिली। जब कभी विपत्तियाँ आएँ, जीवन संकटों के चक्रव्यूह में घिर जाए, तो उससे भागने की मत सोचो। तुम्हारी पलायनवादी मनोवृत्ति से तो ये और प्रबल हो जाएँगे। इनका डटकर मुकाबला करो जीवन में सफलता अर्जित करने का यही मंत्र है।