घमंडी कबूतर (Kahani)

March 1997

Read Scan Version
<<   |   <   | |   >   |   >>

कबूतर को घोंसला बनाना नहीं आता था। अतः जब भी कबूतरी अण्डे देती तो गिरकर टूट जाते। एक दिन कबूतरी ने कबूतर से कहा - क्यों न चिड़ियों से मिलकर घोंसले को बनाने की विधि जान ली जाये? थोड़े बहुत न-नुकुर के बाद कबूतर ने बात मान ली।

कबूतरी जब चिड़ियों के पास गयी तो उन्होंने खुशी-खुशी घोंसला बनाने की विधि सिखाने की स्वीकृति दे दी। अभी वहाँ पहुँचकर चिड़ियों ने घोंसला बनाना प्रारम्भ किया था कि कबूतर ने कहा ऐसा तो हमें भी बनाना आता है। ऐसा तो हम ही बना लेंगे। बेचारी चिड़ियाँ वापस चली गयी।

कबूतर ने कुछ कोशिश की पर घोंसला ठीक से नहीं बना। कबूतरी बेचारी पुनः चिड़ियों के पास गयी ओर बोली - कृपया फिर से मदद कर दें। हमसे घोंसला नहीं बना। खीझती हुई चिड़ियाँ फिर आकर सिखाने लगीं। अभी शुरुआत की थी कि कबूतर फिर बीच में आ धमका ओर बोला अरे यह तो हम भी जानते हैं ऐसा बनाने में भला क्या रखा है।

चिड़ियाँ फिर वापस लौट गयीं। कबूतर दिन भर लगा रहा किन्तु घोंसला न बन सका। अबकी बार कबूतरी फिर चिड़ियों के पास गयी और प्रार्थना करने लगी - बहिन मदद कर दीजिए इनसे घोंसला नहीं बनता।

लेकिन इस बार चिड़ियों ने जाने से साफ इनकार कर दिया और कहा - जो जानता भी कुछ नहीं और मानता भी किसी की नहीं, पर घमण्ड है कि मैं सब कुछ जानता हूँ, ऐसे अहंकारी मूर्ख को न कोई कुछ सिखा सकता है और न कभी वह कुछ सीख सकता है।


<<   |   <   | |   >   |   >>

Write Your Comments Here:


Page Titles






Warning: fopen(var/log/access.log): failed to open stream: Permission denied in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 113

Warning: fwrite() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 115

Warning: fclose() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 118