एक लड़के ने निश्चय किया कि वह बी.ए. करते ही देश सेवा के कामों में लगेगा। पर जब उसके बहुत अच्छे नम्बर आये और विलायत जाने की छात्रवृत्ति मिली, तो घर वाले उसे संकल्प छोड़ने के लिए दबाने लगे। लड़के को अपने वचन का स्मरण रहा, उसने मॉर्डन रिव्यू अख़बार निकाला और रवीन्द्र बाबू का सारा साहित्य प्रकाशित करके देश की महत्वपूर्ण सेवा की। इस लड़के का नाम था रामानन्द चटर्जी। अपने परिवार के इस हीरे से प्रेरणा लेकर उनके पिता व बड़े भाई ने भी स्वयं को देश सेवा के लिए न्यौछावर कर दिया। यह सच है कि जलते दीपक से अनेक दीपक जल उठते हैं और अँधेरी अमावस को उजाले में बदल देते हैं।