यदि तुम्हारे पास ज्ञान है तो तो उस ज्योति से बुझे दीपक को जलाने में लाभ मिलने दो, ताकि तुम्हारे ज्ञान का प्रकाश अधिकाधिक व्यापक और विस्तीर्ण होता चला जाये।
यदि अपने ज्ञान को सिर्फ अपने ही पास बने रहने दोगे तो उसकी दशा भी तालाब के बन्द पानी जैसी होकर रह जायेगी। उसमें संकीर्णता की कीचड़ एवं स्वार्थ की काई ही पनपेगी।
ज्ञान के दीपक की गरिमा इसी में है कि वह अपने इर्द-गिर्द अँधेरे को मिटाता रहे।