अब्राहम लिंकन (Kahani)

March 1997

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अब्राहम लिंकन के एक मित्र ने समाचार पत्र देखते हुए कहा कि “देखिये, लोग आपकी कितनी आलोचना करते हैं, आप इसका प्रतिवाद क्यों नहीं करते ?” लिंकन ने बड़े धैर्य से संक्षिप्त में उत्तर दिया, “ मित्र वाद-प्रतिवाद के चक्कर में पड़ा रहा तो राष्ट्र सेवा कब करूँगा ? यदि मेरे कार्यों से जनता का भला होता है तो आलोचकों के मुँह स्वयं ही बन्द हो जायेंगे यदि मैं जानता कि सुविधाओं का ध्यान नहीं रखूँगा तो मुझे इस आलोचना से कोई नहीं बचा सकता ।”


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