प्रसिद्ध क्राँतिकारी रामप्रसाद बिस्मिल जिस दिन फाँसी होने वाली थी, उस दिन वह सुबह सुबह उठकर व्यायाम कर रहे थे। जेल वार्डन को यह देखकर बड़ा आश्चर्य हुआ। उसने बिस्मिल से पूछा - “आपको एक घण्टे में फाँसी लगने वाली है, फिर व्यायाम से क्या लाभ ?” बिस्मिल ने उत्तर दिया, “जीवन नियमों और आदर्शों से बँधा हुआ है। जब तक शरीर में साँस हो, नियमों का पालन अवश्य करना चाहिए। मैं अपना कर्तव्य निभा रहा हूँ, आप अपना फर्ज पूरा कीजिए।”
बनार्ड शॉ को फूलों से बहुत प्रेम था, एक दिन उनके एक मित्र उनके घर पधारे। उनके घर में कोई भी फूलदान न देखकर उन्होंने आश्चर्य से पूछा - “आप को फूलों से बड़ा प्रेम है, लेकिन आपके कमरे में तो एक भी फूल नहीं है ?” बनार्ड शॉ ने मुस्कुराते हुए कहा - “प्रेम तो मुझे अपने बच्चों से भी है, क्या मैं उनकी गरदन काटकर अपने कमरे में सजा लूँ ? मुझे फूलों से प्रेम है, इसीलिए वह मेरे बाग में हँसते खिलते हैं।”