राष्ट्रमाता की सेवा (kahani)

September 1993

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जापानियों को रूस की लड़ाई में एक नदी आड़े आई। पुल बनाना कठिन था। इसके लिए एक हजार नागरिकों की लाशों का पुल बनना था। नागरिकों की भर्ती की गई। एक हजार की जगह चार हजार नाम आ गये। इन नामों में एक लड़का भी था, जो भर्ती होने के लिए उतावला था, पर उसकी माँ बीमार थी, अकेला था इसलिए मंजूरी नहीं मिली। माँ ने अपने को आड़े आया देखकर विष पी लिया और लड़के को भेजते हुए कहा-शरीर की माँ की अपेक्षा राष्ट्रमाता की सेवा अधिक आवश्यक है, तुम प्रसन्नतापूर्वक जाओ।


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