भारत में जहाँ करोड़ों-अरबों रुपये का दान मन्दिर मठ और पंडे पुजारी चट कर जाते हैं, यहीं पर विदेशों में विवेकपूर्वक दान होता है। वहाँ करोड़ों डालर का होता है। उनका हिसाब कहाँ तक लिखा जाय, दो-एक उदाहरण ही पर्याप्त होंगे। एण्ड्रयू कार्नेगी ने अपने जीवन काल में प्रायः 20 करोड़ डालर का दान बड़े-बड़े सार्वजनिक कार्यों के लिए किया और जॉन राकफेलर ने 60 करोड़ डालर का, कई करोड़ पतियों ने कई-कई डालर के एक-एक चेकर देकर पूरी यूनीवर्सटीज कायम करा दी-जैसे जॉन हाफकिन्स यूनिवर्सिटी, ले लैण्ड स्टानफोर्ड यूनिवर्सिटी आदि। अवश्य ही ऐसी भारी संपžियों के एकत्र करने में भारी पाप भी जाने-अनजाने हो जाता है। उनका प्रायश्चित और परिमार्जन भी ऐसे सार्वजनिक सत्पात्रों, सत्कार्यों के लिए विवेकपूर्वक किये गये महादान से हो जाता है।