सरल और निरहंकारी (kahani)

September 1993

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प्रभु ! स्वर्ग का अधिकार किसे मिलता है? एक ग्रामवासी ने महात्मा ईसा से सवाल किया। पास में ही एक बालक अपनी मस्ती में खेलता हुआ चारों ओर आनन्द बिखेर रहा था, ईसा ने उसकी ओर संकेत करते हुए कहा इसे।

आपका आशय नहीं समझा महात्मन् ग्रामीण ने फिर कहा। ईसा मुसकराये और बोले-”जो बच्चे की तरह सरल और निरहंकारी है, वही स्वर्ग का अधिकारी है।”


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