प्राकृतिक चिकित्सा का प्रयोक्ता
अब से 150 वर्ष वर्ष पूर्व आस्ट्रिया का एक पशु चिकित्सक डॉक्टर जे. स्क्राथ मात्र उपचारक ही नहीं दार्शनिक भी था। पालतू पशुओं की रुग्णता और वन्य पशुओं की स्वस्थता की तुलना करते हुए वह इस निष्कर्ष पर पहुँचा कि आहार-विहार में अप्राकृतिकता का समावेश ही इसका प्रधान कारण है। उसने माँसाहार का घोर विरोध किया और कहा कि मनुष्यों की बीमारियों का बहुत बड़ा कारण यह है। उसने प्राकृतिक रहन-सहन द्वारा रोगों से छुटकारा पाने पर कई पुस्तकें भी लिखीं।
आरंभ में स्क्राथ का सब ओर से उपहास हुआ, पर जब उसने असाध्य रोगियों को इन्हीं अनुबन्धों का पालन कराकर उन्हें अच्छा किया तो लाग आश्चर्य-चकित रह गये। उसने असाध्य रोगी ठहराये गये ड्यूक को अपनी विधि से अच्छा किया तब लोगों ने समझा कि प्राकृतिक आहार-विहार का आरोग्य से कितना बड़ा संबंध है।