नवयुग का आगमन सुनिश्चित

November 1993

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दस वर्ष उम्र की छोटी सी लड़की आँगन में खेलकूद में मग्न थी और माँ अपने घरेलू काम में उलझी हुई थी। अचानक वह लड़की दौड़ती चीखती माँ-माँ पुकारती माँ के पास चली आई और कहने लगी। माँ देखो मेरी पीठ पर चाकू से निर्ममतापूर्वक प्रहार करने के निशान हैं। और माँ। मैं घर के पिछवाड़े में स्थित झाड़ी में जमीन के अन्दर हूँ।

माँ चौक पड़ी कि बेटी को हो क्या गया है किन्तु वह लड़की लगातार कराहती जा रही थी व उसके शरीर पर नील के निशान भी थे। बाद में जब झाड़ी में ढूँढ़ा गया तो एक व्यक्ति की लाश मिली। पुलिस के द्वारा खोजने पर दो हत्यारों का पता चला। लोगों को आश्चर्य हुआ आखिर इस लड़की को यह सब बाते कैसे मालूम हुई। यह लड़की और कोई नहीं बल्कि अमेरिका की भूतपूर्व चित्र नायिका एवं वर्तमान में भविष्य दर्शी के रूप में राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त केब्रिना किन्केडा ही हैं। उसने अमेरिका के महत्वपूर्ण व्यक्तियों फरेह, फैकेट, क्लाइन्ट वाकर एवं लिण्डाडे जार्ज के बारे में जो कुछ कहा वह अक्षरशः सत्य घटित होता गया। उसने 21 हत्यारोँ को खोजने एवं उनके बारे में सत्यता का पता लगाने में पुलिस अधिकारियों की भी कई अवसरों पर मदद की और 42 गुमशुदा लोगों को भी ढूँढ़ निकाल। यह तो केब्रिना के अतीन्द्रिय ज्ञान का छोटा सा पक्ष हुआ। राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक एवं नैतिक मूल्यों के बदलाव से संबंधित जिन घटनाओं के संबंध में उसने जैसा बताया था। वे सभी उसी रूप में अपने समय पर घटित होती गयी।

जब उसने वसंत 1974 में राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन के सितम्बर से पहले हाइट हाउस से निकलने की बात कही, तो लोगों ने उसकी हँसी उड़ाई और कपोल कल्पना मात्र समझा, क्योंकि परिस्थितियाँ रिचर्ड निक्सन के पक्ष में थीं, किन्तु 8 अगस्त को जब निक्सन ने टेलीविजन पर अपना त्यागपत्र संबंधी अभिभाषण देना प्रारंभ किया तो लोग किन्केडा को सत्य समझने लगे।

उन्होंने राष्ट्रपति फोर्ड के बारे में कहा था कि उन पर एक प्राण घातक हमला होगा, किन्तु वे सुरक्षित बच जायेंगे। पेपर में छपी उपरोक्त घटना को जब लोगों ने जब 1975 में पढ़ा तभी किन्केडा पर विश्वास हो सका।

18 नवम्बर 1974 को उसमें एक अखबार के संवाद दाता को बताया कि “केरोलिन केनेडी आतंकवादी घटना में मारे जायेंगे उनके साथ रहने वाली उनकी पुत्री बच जायेंगी। ” लगभग 11 महीने बाद 23 अक्टूबर 1975 को बम काण्ड में उनकी मृत्यु हो गई और केब्रिना की भविष्य वाणी सत्य सिद्ध हुई उपरोक्त घटनाक्रमों के बारे में केब्रिना कहती थीं कि “जब मैं सो जाती हूँ तो मुझे भविष्य में घटित हो रहे दृश्य दिखाई देते हैं और मैं अनुभव करती हूँ कि ये सभी दृश्य स्वयमेव ही आ रहे हैं। ”उन्होंने 1971 से 2000 के बीच हो रहे क्राँति कारी परिवर्तनों को भी स्पष्ट किया है। जिसका उल्लेख डेविड वाले किन्सी एवं इरबिंग वेल्स ने “द पीपुल्स एलमेनेक”में विस्तार पूर्वक उल्लेख किया है। उनके अनुसार-

1-सारा विश्व आर्थिक दृष्टि से एक राष्ट्र कहलायेगा और मुद्रा विनिमय के लिए विश्व मुद्रा की व्यवस्था होगी। सभी देशों में इसी को माना जायेगा।

2-मनोविज्ञान का उपयोग गुप्तचर विभाग में व्यापक स्तर पर होगा। एवं अतींद्रिय क्षमता संपन्न व्यक्तियों के कारण उसको प्रामाणिकता भी मिलती रहेगी। न्यायालय में इनकी बातें मानी जाएँगी।

3-प्रमुख ईंधन के रूप में सूर्य से निकलने वाली रोशनी का प्रयोग किया जायेगा। यही ऊर्जा का स्रोत बनेगा।

4-जातिगत संघर्षों में लोग बुरी तरह जुट जायेंगे किंतु इस सदी के अंतिम पाँच वर्ष पूर्व सभी धर्मों जातियों एवं संप्रदायों का एकीकरण हो जाएगा।

कैन्सर के बारे में यह सूचना मिलेगी कि वह वायरस से उत्पन्न होता है, उसके निदान के लिए प्रतिरोधी क्षमता खोजी जायेगी। और कैन्सर का पूर्णतः निदान संभव हो जायेगा।

6-यू.एफ.ओ ’उड़नतश्तरी’ से संपर्क सध जायेगा, जो पृथ्वी वासियों के लिए सुखद परिस्थितियाँ विनिर्मित करने का संकेत होगा, इसके द्वारा 12 नये ग्रह खोजे जायेंगे, जहाँ मानव जीवन का अस्तित्व संभव होगा। और परस्पर सूचनाओं के आदान-प्रदान का क्रम चल निकलेगा।

7-भयावह भूकंपों से विनाश तो होगा ही, किन्तु विकास की सुखद संभावना भी प्रकट होगी। पैसिफिक सागर में नये द्वीप उभर कर आयेंगे, जिसमें मनुष्य जाति का अधिकाँश भाग जीवन-यापन करने लगेगा।

8-बरमूडा ट्रैंगल ’जिसमें यान अदृश्य हो जाते हैं’के बारे में यह स्पष्ट पता चलेगा कि यह उड़नतश्तरी के क्रियाकलापों का केन्द्र है, जहाँ से अदृश्य लोकों से संबंध स्थापित किया जा सकेगा। एवं धरती वासियों को अनुदान मिलेगा।

9-आँख-गुर्दे की तरह हाथ-पैर भी प्रत्यारोपित किये जा सकेंगे। जिसके द्वारा अपंग, अपाहिज लोगों को नया जीवन मिलेगा।

10-मस्तिष्क से उत्पन्न हुए लकवा जैसे रोगों का स्थायी निदान संभव हो जायेगा।

11-धूम्रपान के विषैले प्रभाव के कारण कोई भी व्यक्ति धूम्रपान की ओर कदम नहीं बढ़ायेगा बल्कि आत्मानुशासन से ऐसे उद्योग स्वयमेव ही बन्द हो जायेंगे।

12-जनसंख्या न बढ़ाने के लिए हर व्यक्ति जिम्मेदारी अनुभव करेगा और यह अंतर्राष्ट्रीय कानून में सम्मिलित किया जायेगा, किन्तु इसकी आवश्यकता ही नहीं पड़ेगी, क्योंकि हर व्यक्ति का झुकाव संयम की ओर होगा।

यह तो उनकी विज्ञान के विकास, मानवी स्वास्थ्य एवं अर्थव्यवस्था संबंधी भविष्यवाणियाँ थीं किंतु उनने आने वाले समय के बारे में भी बहुत कुछ कहा है। इस संबंध में केब्रिना का मत विश्व के मूर्धन्य भविष्य वक्ताओं की ही तरह है। वे भी इसे स्वीकारती हैं कि वर्तमान समय समस्त विश्व के लिए भारी उथल पुथल का है। इस क्रम में एक समय ऐसा आयेगा, जब यह प्रतीत होने लगेगा कि सर्वनाश को टालना और मानवी अस्तित्व को सुरक्षित बचा पाना कदापि संभव नहीं है, तभी एक ऐसी अभिनव चेतन जन्म लेगी, जो भँवर में फंसी नाव को सुरक्षित किनारे पर ले आयेगी। इसके बाद का मानवी इतिहास हर क्षेत्र में पिछले दिनों की तुलना में अनुपम और अभूतपूर्व होगा, जिसे युगों-युगों तक लोग याद करते रहेंगे।

उनकी इस भविष्यवाणी की संगति प्रज्ञा अभियान की गतिविधियों से हूबहू बैठती चली जा रही है। इसे पूरा करने में भगवत्सत्ता भी अपने ढंग का प्रयास कर रही है। हमें भी उस प्रयास में सहयोगी बनने के लिए अपनी सक्रियता का परिचय देना चाहिए।


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