असफलता पर बड़ा क्लेश (kahani)

November 1993

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“बिहार प्रान्त में हेमंत पुर नाम की कभी बहुत शानदार रियासत थी। अब तो उसके ध्वंसावशेष ही रह गये हैं। इन खण्डहरोँ में से कभी-कभी एक क्षीण काया वाले साधु की मूर्ति आसमान में उड़ती दिखाई पड़ती है और भीतर प्रवेश करने पर यह भी प्रतीत होता है कि इसमें कोई आदमी रहता है। पानी का भरा घड़ा, बुहारी, मटका आदि वस्तुएँ न जाने किसकी रखी हुई हैं।

कहते हैं कि यहाँ के राजा साहब जब सिंहासनारूढ़ थे तब उनकी प्रेरणा से उस साधु ने ताँबे से सोना बनाने का प्रयोग किया था। पूरा होने से पूर्व ही वह गलती से कढ़ाव में गिरकर प्राण गंवा बैठा था। साधु की आत्मा को इस असफलता पर बड़ा क्लेश हुआ। वह अभी तक प्रेत रूप में उस खण्डहर में विचरता देखा जाता है। ”


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