सज्जनता का अर्थ है नम्रता। इसी को सभ्यता और शिष्टता भी कहते हैं। विद्या का वास्तविक प्रतिफल यह भी हैं।
“थोथा चना बाजे घना “ - इस युक्ति को अहंकारियों पर चरितार्थ होते देखा जाता है। वे वस्तुतः जैसे होते हैं, उससे कही बढ़ चढ़कर अपने को व्यक्त करते हैं। किसी को धमकाना, किसी को निहाल कराने का आश्वासन भी प्रायः ऐसे ही क्षुद्र लोग देते देखे गये हैं। इसमें व्यक्ति का घटियापन ही झलकता है। आत्म सम्मान की रक्षा करनी हो तो अहंकार से बचना ही चाहिए।