मिट्टी ने कुम्हार से कहा कि मुझे एक ऐसा पात्र बना दीजिए, जो अपने में शीतल जल भर कर प्रियतम के होठों से लग सके। कुम्हार ने कहा यह तभी संभव है जब तुम फावड़े से खुदने, गधे पर चढ़ने, डंडे से पीटने, पैरों से रौंदे जाने, आग में तपने का साहस जुटा सको। इससे कम में किसी की महान आकाँक्षाएँ पूरी हुई ही नहीं है। यही है महानता को प्राप्त करने का एक मात्र रास्ता।