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August 1993

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जीवन के अनेक पक्ष हैं। आवश्यक है कि उनके सभी पक्षों पर समुचित ध्यान दिया जायें और जो जिस दिशा में किया जाना आवश्यक है उसे परिपूर्ण उत्साह के साथ किया जाय।

जीवन एक सुयोग हैं, उसका परिपूर्ण लाभ उठाया जाय। जीवन एक स्थान हैं, जिसे साकार करके दिखाया जाय। जीवन एक आनन्द हैं, जिसका आनन्द उठाया और बाँटा जाय। जीवन एक खेल है जिसे एक खिलाड़ी की भाँति खेला जाय। जीवन एक गीत हैं, जिसे तन्मयता पूर्वक गाया और सुनाया जाय। जीवन एक वरदान है, जिसका उपयोग मिल जुल कर किया जाय। जीवन एक रहस्य हैं, जिसका उद्घाटन करके दिखाया जाय। जीवन एक पात्र हैं, जिसे अनवरत चला जाय और लक्ष्य तक पहुँचा जाय।

बहुमूल्य वर्तमान का सदुपयोग करना सीखें

मृत्यु और निर्माण के बीच में हम ठहरे हुए हैं। वर्तमान बड़ी तेजी से भूत की ओर दौड़ता है। भूत और मृत्यु एक ही बात हैं। कहते हैं कि मरने के बाद मनुष्य भूत बनता है। मनुष्य ही नहीं हर चीज मरती है और वह भूत बन जाती है। जब किसी वस् की सत्ता पूर्णतः समान होती हैं तो उसकी पूर्ण मृत्यु कही जाती है। पर आंशिक मृत्यु जन्म के साथ ही आरंभ हो जाती है। बालक जन्म के बाद बढ़ता है, विकास करता है और उसकी वह यात्रा मृत्यु की ओर भी है।

संसार की हर वस्तु का, मनुष्य शरीर का भी निर्माण उन्हीं तत्वों से हुआ हैं जो हर क्षण बदलते हैं। उनका चक्र भूत को पीछे छोड़ते हुए और भविष्य को पकड़ता हुआ बढ़ी तेजी के साथ आगे बढ़ रहा है। विश्व एक पल के लिए स्थिर नहीं रहता। अणु परमाणुओं से लेकर विशालकाय ग्रह पिण्ड तक अपनी यात्रा विश्राँत गति से कर रहे है।

हमारा जीवन भी हर घड़ी थोड़ा थोड़ा मर रहा हैं। भविष्य में हम चल रहें हैं और वर्तमान और भूत को हम गोदी में पटकते जाते हैं। यह सब देखते हुए भी हम नहीं सोचते कि क्या वर्तमान में हमारा सदुपयोग हो सकता है? जो बात गया सो गया, जो आने वाला है वह भविष्य के गर्भ में हैं। वर्तमान हमारे हाथ में है। यदि हम चाहे तो उसका सदुपयोग करके इस नश्वर जीवन में से कुछ अनश्वर लाभ प्राप्त हो सकते हैं।


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