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Akhand Jyoti
Year 1991
Version 2
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June 1991
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उस दिन को को खोया हुआ समझो जिस दिन सूरज डूबने तक कोई अच्छा काम न बन पड़े।
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Page Titles
अध्यात्म का मर्म
विश्व मनीषा द्वारा देव संस्कृति का प्रतिपादन
इतिहास की पुनरावृत्ति (Kahani)
जड़-चेतन सभी में, उसी का क्रीड़ा-कल्लोल
घोंसले में ले गई (Kahani)
जीवन क्या है?
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संसार को प्रेत-वास बनाना (Kahani)
संवेदना का रत्नाकर
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भीतर की अमीरी सबसे भली
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अविज्ञात के गर्भ में गूँजती ये रहस्यमय ध्वनियाँ
अपने जाल में फँसाते (Kahani)
यह मिलन अगले दिनों होने जा रहा है।
अमेरिका का राष्ट्रपति बना (Kahani)
“गहना कर्मणो गतिः”
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व्यावहारिक अध्यात्म का निचोड़
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आँख में अयोग्यता (Kahani)
काला पहाड़
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सावित्री के पाँच मुख एवं उनका ज्ञान-विज्ञान
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प्रतिगामिता नहीं प्रगतिशीलता अपनायें
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अक्षुण्ण स्वास्थ्य कैसे?
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शाँग्रीला जिसे एक दृष्ट ने देखा
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व्यक्तित्व को चार चाँद लगाने वाली दो विभूतियाँ
चंचलता के फेर में (Kahani)
अनुभूतियों को आकार देने का एक तुच्छ सा प्रयास!
बुद्धि पर शर्मिन्दा (Kahani)
संस्कारों की प्रबलता व ऊर्ध्वगामी पुरुषार्थ
ऐतिहासिक पीठों में से एक (Kahani)
ज्योतिर्विज्ञान के आधार पर-परमपूज्य गुरुदेव का जीवन दर्शन!
वातावरण जो उनके स्पर्श से धन्य हो गया
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प्राणरक्षक संजीवनी-जिनकी सिद्ध थी!
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अनुदानों के बरसने का अनवरत सिलसिला
परमपूज्य गुरुदेव के दैवी अनुदान (Kahani)
प्रत्यक्ष प्रमाण (Kahani)
वे हैं शाश्वत ज्योति (Kavita)
किसने कहा कि चले गये हो? (Kavita)
आप विश्वास देकर गये हैं हमें (Kavita)
काया छोटी पड़ी, तुम्हीं अवतार हुए (Kavita)
परम पूज्य गुरुदेव का गायत्री जयन्ती प्रवचन (3 जून 1971)
तीन हजार बार विचार (Kahani)
प्रवचन सार्थक हो जाए (Kahani)
पूज्यवर के कार्यों के प्रति (Kahani)
परोक्ष जगत में सक्रिय वह सर्व समर्थ सत्ता
हमारा पथ प्रशस्त (Kahani)
गायत्री से हम सबकी प्रार्थना (Kahani)
आह्वान उनका जो शाँतिकुँज को घोंसला बना सकें!
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ॐ भू र्भुवः स्वः
तत्
स
वि
तु (र्)
व
रे
णि
यं
भ
र्गो
दे
व
स्य
धी
म
हि
धि
यो
यो
नः
प्र
चो
द
या
त्
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