यूनान देश में सबसे प्रख्यात दार्शनिक सोलन था। उसके निर्णय को सर्वत्र मान्यता मिलती थी। एक दिन यूनान के बादशाह ने सोलन को राजमहल देखने के लिए आदरपूर्वक सम्मानित किया। वह उसके मुंह से प्रसन्नता के शब्द सुनना चाहता था।
सेलन को राजमहल का कोना-कोना दिखाया गया। देखते समय वे मौन रहे और न कोई भाव व्यक्त किया।
देख चुकने के बाद राजा ने उनसे अभिमत व्यक्त करने की प्रार्थना की।
सोलन ने इतना हर कहा- यहाँ प्रशंसा के योग्य कुछ है ही नहीं और निन्दा करूं तो आपको सहन न होगी। इसलिए मौन रहना ही बेहतर लगता हैं।