विश्वकर्मा को प्रजापति ने पृथ्वी पर भेजा। दो घड़े दिये उनमें एक खाली था दूसरा भरा।
भरे घड़े में सुख था और खाली में थोड़ा सा ज्ञान। कहा गया कि सुख बाँटना और ज्ञान बटोरना।
रास्ते में विश्वकर्मा भूल गये घड़ों का क्रम। उनने ज्ञान बाँटना और सुख बटोरना आरंभ कर दिया। उस गलती को अब तक मनुष्य दुहराते चले आ रहे हैं।