रावण असाधारण मायावी था। उसे रूप बदल लेने जैसी कितनी ही कलाएं आती थी।
सीता हरण के बाद उन्हें उसने अशोक वाटिका में रखा। उन्हें पत्नी बनाने के लिए फुसलाने के अनेक प्रयत्न करता रहा पर उसकी सभी चालें निष्फल हुई।
एक दूसरे मायावी “कालनेमि” ने उस सलाह दी कि तुम राम रूप ही क्यों नहीं बना लेते? सीता पहचान न सकेगी और आसानी से तुम्हारे साथ रहने लगेगी।
रावण ने कहा- यह प्रयोग करके भी मैं देख चुका हूं। जब राम के रूप में अपने को सज्जित करता हूं तो बुद्धि भी वैसी ही बन जाती है। तब सीता माता के समान दीख पड़ती है और उससे कुछ अधोगामी चर्चा करने के लिए मन तक नहीं करता।