लाला लाजपत राय द्वारा स्थापित लोक सेवक मण्डल संस्था के संचालक का स्थान लालाजी के स्वर्गवास से खाली हो गया। इस स्थान पर निर्वाह मात्र का वेतन मिलता था।
कम पैसे पर योग्य आदमी कौन मिले। अड़चन के कारण मण्डल का काम रुक गया।
उन दिनों पुरुषोत्तम दास टण्डन पंजाब नेशनल बैंक के प्रांतीय मैनेजर थे। अच्छा वेतन मिलता था। उनने नौकरी छोड़ दी और मंडल के संचालन का काम संभाल लिया।
गाँधी जी ने इस त्याग से उत्पन्न आर्थिक कठिनाई के सम्बन्ध में पूछताछ की, तो उनने सीधा-सा उत्तर दिया- ‘जरूरत घटा लेने पर अर्थ सन्तुलन बिठा लेने में किसी को कोई कठिनाई नहीं होनी चाहिए।”